Your cart is currently empty!
Free shipping on all orders across India
ऋग्वेदादि भाष्य भूमिका” स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसमें वेदों की अपौरुषेयता, उनकी वैज्ञानिकता और सही व्याख्या पर जोर दिया गया है। यह ग्रंथ वेदों की सत्यता, तर्कसंगत व्याख्या और समाज में उनके सही उपयोग को समझने के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है।
This book is in Hindi language and is in NEW condition.
“ऋग्वेदादि भाष्य भूमिका” स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसमें उन्होंने वेदों की महत्ता, उनकी सही व्याख्या और वेदों के आधार पर जीवन जीने की दिशा में मार्गदर्शन किया है। यह ग्रंथ वेदों के अध्ययन के इच्छुक व्यक्तियों के लिए एक गहन भूमिका प्रस्तुत करता है और वेदों की वैज्ञानिक, तर्कसंगत और आध्यात्मिक व्याख्या करता है।
स्वामी दयानंद ने इस पुस्तक में यह स्पष्ट किया है कि वेद न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक, नैतिक और भौतिक जीवन के लिए भी सर्वोत्तम ज्ञान का स्रोत हैं। उन्होंने वेदों की भाषा, उनके अर्थ, और उनके अध्ययन के सही तरीकों पर प्रकाश डालते हुए यह बताया कि वेद केवल मंत्रों का संग्रह नहीं, बल्कि ज्ञान का भंडार हैं।
“ऋग्वेदादि भाष्य भूमिका” वेदों की प्रामाणिकता को स्थापित करने और उनके गूढ़ अर्थ को स्पष्ट करने का एक प्रयास है। यह ग्रंथ वेदों को समझने और उनके वास्तविक संदेश को अपनाने के इच्छुक पाठकों के लिए अत्यंत उपयोगी है। यदि आप वेदों का गहन अध्ययन करना चाहते हैं, तो यह पुस्तक अवश्य पढ़ें।
वेदों की अपौरुषेयता – स्वामी दयानंद ने सिद्ध किया कि वेद ईश्वर द्वारा प्रकट किए गए ज्ञान हैं और किसी मनुष्य द्वारा रचित नहीं हैं। वेदों की यह विशेषता उन्हें सर्वोच्च ज्ञान का स्रोत बनाती है।
वेदों की वैज्ञानिकता – इस ग्रंथ में दयानंद सरस्वती ने वेदों में निहित वैज्ञानिक तथ्यों को उजागर किया है, जो आधुनिक विज्ञान से भी मेल खाते हैं।
पाखंड व अंधविश्वास का खंडन – स्वामी दयानंद ने वेदों की गलत व्याख्याओं का विरोध किया और यह बताया कि समाज में व्याप्त अंधविश्वास और मूर्तिपूजा वेदों के विपरीत हैं।
सत्यार्थ प्रकाश का आधार – “ऋग्वेदादि भाष्य भूमिका” को स्वामी दयानंद के अन्य ग्रंथों, विशेष रूप से “सत्यार्थ प्रकाश,” की विचारधारा का मूल आधार माना जाता है।
संस्कृत व व्याकरण पर बल – उन्होंने वेदों के अर्थ समझने के लिए संस्कृत व्याकरण और निरुक्त (व्याख्या शास्त्र) के महत्व को भी स्पष्ट किया है।
Weight | 400 g |
---|---|
Dimensions | 16 × 12 × 3 cm |
Language | |
Condition | |
Author | |
Binding | Paperback |
gohilar (verified owner) –
Nice